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सर्व देवमयी गौमाता

                  सर्व देवमयी  गौमाता  

गौ माता  जिसकी हम  उपेक्षा कर  रहें  है  उसके गोबर और मूत्र मैसे सुंदर प्लायवूड बन  सकती है. जिसकी दो फेक्टरिया आ रही है. गौमूत्र  मैसे फीनाईल बन सकती है. गौमूत्र से ओईल पेन्ट कलर बन सकती है. और इन्टरनेशनल पेटेन्ट प्राप्त की गई गौमूत्रकी पंचगव्य दवा केन्सर दुर कर  सकती है. गाय के गोबर मे न्यूक्लियर रेडीऐसन को रोकने की छमता होती है.


   जिस गाय माताकी  सेवा कर कर के हमारे पूर्वज जीवन जीते थे, उसकी उपेक्षा कर हम दूध की  मशीन जर्सी गाय ले आये. अमेरिकन केन्सर सोसायटी की  रीपोर्ट है. की जर्सी के दूध पीने से तिस % केन्सर की सम्भावना बढ़ जाती है. और वही वास्तविकता वैज्ञानिकोने सिध्ध की है. की मनुष्य की बुद्धि का  आंक  बढ़ाना हो, मनुष्य को तेजस्वी बनाना हो, अपनी आने वाली पीढ़ी को  तेजस्वी बनाना हो, २१वि सदी की स्पर्धा में टिके रहे और आगे बढे,  आदर्श प्रजा बनानी हो तो उतम में उतम वस्तु कोई हे तो गाय का दूध है.  

 न्युजीलेन्ड की  पार्लामेन्ट की  सब कमिटी की  रीपोर्ट है की भारत का सांड लाओ और न्युजीलेन्ड  आस्ट्रेलिया के देश मिल्क प्रोडक्ट पर जीये.  इस प्रजाति को बढाओ सबसे अच्छा दूध है.  मात्र न्युजीलेन्ड नहि ब्राजील चीली में जाइए.  ईजराईल में जाइये, अपनी भारतीय  नस्ल गुजरात के गीर की  गाय ब्राजील पहोंच गई है. विश्व के देश हमारी गाय इन्डिया की गाय का बड़ा   आदर करते है. और आप इन्टरनेट पर किशी भी सर्च ईन्जीन में देखिये इन लोगो ने जाने अंजाने नाम रखा है.  ब्रामन काउ (BRAHMAN COW) ब्रामण काउ सर्च करे हजारो साईट मिलेंगी.


मैं सायद गो माता की तारीफ करुं तो आप कहेंगे की ये तो हिंदू हे सनातनी है. मॉडर्न हिंदू फन्डामेन्टली हे. इसलिए गाय का बखान कर रहा हू.




 इस देश की गर्वता को याद करे तो  सर्वश्रेष्ठ गर्वता यह है की भारत की आज़ादी की नीव, आझादी के लिए सबसे पहली तृष्णा, पहली अभिव्यक्ति  सन १८५७ में हुयी थी. और उसका कारण गौमांस था,  गौ हत्या थी आपको सायद जानकारी होगी. की कारतुस की अंदर गौ मांस का प्रयोग होता था. इसलिए सैनिको ने कहा की हम यह कारतूस का प्रयोग नहीं करेंगे अंग्रेजो वापस जाओ.  १८५७ में सुरु हुई क्रांति के कारण ९० वर्ष बाद १९४७ में आजादी मिली.


अथर्ववेद में गौसूक्त है. जिसमें ब्रह्माजी, शिवजी, और विष्णुजी गाय माता की  पूजा करते है. श्रुति करते है. देखो हमारी संस्कृति में गाय को  कीतना पवित्र बताया है. आपको एक उदहारण बताता हू. कृष्ण को नारायण का पूर्ण अवतार कह सकते है. कृष्ण रूपी नारायण ने  गाय की सेवा की. यह आदर्श है गौसेवा का. रामजी के पूर्वज भी गौ सेवा करते थे.  जिसका विवरण दिलीप राजा की कथा में बताया गया हे. एक एक देवताओ ने गौमाता की  श्रुति की है.   पूर्ण पुरषोतम परमात्मा कृष्ण रूपे है. उस नारायण की  श्रुति में विष्णु सहस्त्रनाम में श्लोक है. "पवित्राणाम पवित्र्म्यो मंगलानाम च: मंगलम" सर्व मंगलो के  मंगल प्रदान करने वाले नारायण है. पर  नारायण जब कृष्ण रूपे अवतरते है.  

उस बाल कृष्ण को पुतला नाम की राक्षसी उठा कर ले जाती है. तो उसकी माता जसोदा कृष्ण की असुची दुर करने गाय की पूंछ छुआती है. उस पवित्र को पवित्र करने गोबर छुआती है. यह हमारी पवित्रता की  भावना है.  वेद में लिखा हैकी गौमाता के मूत्र में साक्षात गंगाजी का वास है. गंगा जल न होतो इसे पीना. और  गोबर की  अंदर साक्षात लक्ष्मीजी का  वास है. "सर्व देवमही गोमाता" सभी देवताओ का वास है.  

मै आपको यह बात कहना चाहता हू की आजादी की क्रांति सुरु होने के बाद, आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत का बंधारण बनाया गया, तब बंधारण  बनाले वालो ने बंधारण के पहले पेज में, "ten writing prinsipal of the कोस्तितुतिओन" में बताया था. की बंधारण को कैसे अर्थगठन करे, बंधारण को कैसे समजे, बंधारण का सार क्या है. उसे समजने १० मुख्य मुददे दिए, की इसे ध्यान में रख कर के इस देश का बंधारण समजे. और उसमे एक मुददा सबसे पहले लिखा थाकी, इस देश की  प्रजा को सबसे अधिक आदर जो कोय हो, इस देश की प्रजा को सबसे अधिक कोय जीवंत हो तो गौमाता है. आजादी की क्रांति गौमाता की रक्षा के साथ हुई थी. इसलिए अब सरकार से हम विनंती करते है की इस देश के अंदर गौमाता की रक्षा हो, उसके लिए जरुरी कायदा बनाये, कही भी गौ वध न हो और गौ प्रजाति का विकास हो उसके लिए  कायदा बनाये ६३ वर्ष हो गए कुछ भी नहीं हुआ है.

  पर मै गर्व से कहता हू की मात्र गुजरात एक ही ऐसा राज्य है. जहाँ गौहत्या पर प्रतिबंध है. यही एक राज्य है. जहाँ दारूबंधी है. और इस प्रतिबंद   गुजरात की विधान सभाने में पास प्रतिबंध को हाईकोर्टे ने अस्वीकार किया, ह्युमन आजीविका राईट के नाम पर, और सुप्रीम कोर्ट की कोस्टीटीयुंटे बेन्च ने कहा यह प्रतिबंध सही है. फिर भी भारत मै गौहत्या पर प्रतिबंद का कायदा नहीं बना है. सुप्रीम कोस्ट की कोस्टीटीयुंसन जिस में चीफ जस्टीश बेठे थे

 अब हमारी मांग यह है की, गौमाता को अब राष्टीय प्राणी जाहेर करे. और  गौवंश की हत्या बंध हो.

गौ वंश की रक्षा करे 
  आओ हम सब मिल कर 

                               ॐ शांति शांति शांति ॐ   

                 ॐ नमो श्री निष्कलंकी नारायण नमो नम: 

पर वास्तव में अब ये लोग हमारी ले जा रहे है. और सायद वो दिन दूर नहीं जब हम हमारे बच्चो को गर्मी की छुट्टी में गाय बताने इजरायल,  चीली और ब्राजील जेसे देशो में ले जाना पड़ेगा.

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